पर्यावरण विविधा

पर्यावरण विविधा प्रश्नोत्तरी 

प्रश्न- अख़बार में कौन—सा विषैला तत्त्व पाया जाता है?
उत्तर- लेड अर्थात सीसा। अख़बार की स्याही में सीसा होता है।
प्रश्न- दुनिया का सबसे बड़ा मरूस्थल कौन—सा है?
उत्तर- सहारा मरूस्थल।
प्रश्न- पृथ्वी की सबसे बड़ी पर्वतमाला कौन—सी है?
उत्तर- एंडीज पर्वतमाला।
प्रश्न- दुनिया का सबसे ठण्डा स्थान कौन—सा है?
उत्तर- बरर्खोयांस्क (साइबेरिया)।
प्रश्न- विश्व का सबसे गर्म स्थान कौन—सा है?
उत्तर- अजीजिया (लीबिया)।
प्रश्न- विश्व मौसम संगठन का मुख्यालय कहां है?
उत्तर- जेनेवा में।
प्रश्न- खनन से पर्यावरण पर पड़ने वाले कुप्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर- वनों का विनाश, भूस्खलन, जैव विविधता का ह्रास तथा वायु एवं शोर प्रदूषण।
प्रश्न- पर्यावरणविद् अधिवक्ता एम. सी. मेहता को उनकी पर्यावरण सेवाओं के लिए कौन—सा अन्तर्राष्ट्रीय अवार्ड मिला?
उत्तर- मैगसैसे अवार्ड।
प्रश्न- नर्मदा बचाओ आन्दोलन की प्रमुख नेता कौन है?
उत्तर- सुश्री मेधा पाटेकर।
प्रश्न- पर्यावरण के प्रति भावी पीढ़ी को जागरूक करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने क्या महत्वपूर्ण निर्देश दिये हैं?
उत्तर- पर्यावरण शिक्षा को अनिवार्य बनाने के निर्देश माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने दिये हैं।
प्रश्न- उड़न राख (फ्लाई—ऐश) क्या होती है?
उत्तर- उड़न राख एक खतरनाक औघोगिक अपशिष्ट है। स्लेटी रंग की यह राख बहुत ही हल्की और बारीक होती है।

पर्यावरण संरक्षण में हमारी भूमिका : निबंध

निबंध - पर्यावरण संरक्षण में हमारी भूमिका 

पर्यावरण संरक्षण एक ऐसा मुद्दा है जिसे अकेले कोई हल नहीं कर सकता। न तो मात्र सरकारी स्तर पर बढ़ते पर्यावरण असंतुलन को नियन्त्रित किया जा सकता है तथा न ही कोई संगठन कर सकता है। इसके संरक्षण एवं संवर्द्धन में प्रत्येक व्यक्ति अपना योगदान दे तो यह कार्य आसान हो सकता है। इसके लिए हम सभी कुछ न कुछ योगदान अवश्य कर सकते हैं, चाहे हम विघार्थी हैं, शिक्षक हैं, जनप्रतिनिधि हैं, किसान हैं, युवा हैं, गृहणी हैं या व्यापारी। हम सबकी पर्यावरण संरक्षण में भूमिका हो सकती है, यदि हम दैनिक जीवन में कुछ छोटी—छोटी बातों का ध्यान रखकर कार्य करें।

कुछ करने योग्य बातें -

1. पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों का न्यूनतम विरोध अवश्य करें।
2. कागज़ का दोनों तरफ से प्रयोग करके कागज़ की खपत घटायें तथा लिफाफों को भी पुनः प्रयोग में लायें।
3. पुरानी पुस्तकें पुस्तकालयों या जरूरतमंद लोगों को भेंट कर दें।
4. यात्रा के लिए यथासंभव सार्वजनिक वाहनों का ही प्रयोग करें। कम दूरी की यात्रा के लिए साईकिल का प्रयोग करें।
5. बाज़ार जाते समय कपड़े या जूट का थ्ौला साथ ले जायें, सामान उसी में लायें।
6. नल बेकार चल रहा हो तो तुरन्त बंद कर दें।
7. हर प्रकार से जल की बचत करें, क्योंकि जल ही जीवन है।
8. फलों व सब्जियों के छिलकों को केंचुओं की मदद से खाद बनाने में प्रयोग करें।
9. खुशी के अवसरों व अपने प्रियजनों की स्मृति में पौधे लगायें।
10. पर्यावरण संरक्षण में मद्दगार जीवों यथा गिद्ध, सांप, छिपकली, मेंढ़क, केंचुआ तथा बाघ आदि की रक्षा करें।
11. पेयजल स्त्रोतों के आसपास सफाई रखें।
12. वर्षा जल के संग्रह का स्वयं प्रयास करें व सरकारी योजनाओं में सहयोग करें।
13. परम्परागत जल स्त्रोतों—जोहड़, तालाब, नदियों व बावड़ियों आदि का संरक्षण करेंं।
14. अपने खेतों की मेंढ ऊंची बनायें ताकि वर्षा का पानी बहकर न जा सके।
15. पानी का बार—बार प्रयोग करें जैसे—सब्जी धोए हुए पानी को पौधों में डाल दें। कपड़े धोए हुए पानी से पोंछा लगा लें।
16. व्यर्थ बहते व गन्दे पानी को सोख्ता गड्ढे (सोक पिट्स) बनाकर उसमें डालें। इससे कीचड़ तो समाप्त होगा ही भूमिगत जलस्तर बढ़ाने में भी मद्द मिलेगी।
17. गोबर गैस प्लांट लगाकर बायो गैस से भोजन बनायें तथा ईंधन के रूप में जलने वाली लकड़ी व गोबर की बचत करें। सरकार अनुदान देकर गोबर गैस प्लांट लगवाती है।
18. सौर उपकरणों का प्रयोग करके ऊर्जा संसाधन बचायें। सौर उपकरण भी सरकार अनुदान पर उपलब्ध करवाती है।
19. नियमित रूप से यज्ञ करें ताकि वातावरण शुद्ध रहे।
20. रतनजोत (जट्रोफा) के अधिक से अधिक पौधे लगाकर बायो डीजल बनाने में सहयोग करें। पौधे लगाने के लिए सरकार सहयोग करती है तथा पैदावार भी खरीदती है।

पर्यावरण से सजग प्रहरी - वन

प्रश्नहमारे देश में कितने क्षेत्र पर वन शेष हैं?
उत्तरसंयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष द्वारा वर्ष 2000 में जारी रिपोर्ट के अनुसार हमारे देश में 19 प्रतिशत वन क्षेत्र शेष हैं।
प्रश्न- 20वीं सदी की शुरूआत तक कितने क्षेत्र में वन थे?
उत्तर- 40 प्रतिशत।
प्रश्नहमारे देश में कितने वन प्रतिवर्ष नष्ट हो जाते हैं?
उत्तरभारत में औसतन 13 लाख हेक्टेयर वन हर वर्ष नष्ट हो रहे हैं।
प्रश्नभारत में रिजर्व वन कितने क्षेत्र में हैं?
उत्तरलगभग 4,16,516 वर्ग किलोमीटर में।
प्रश्न- भारत में सुरक्षित वन क्षेत्र कितना है?
उत्तर- लगभग 223309 वर्ग किलोमीटर।
प्रश्न- भारत में अवर्गीकृत वन क्षेत्र कितना है?
उत्तर- लगभग 1,25,385 वर्ग किलोमीटर।
प्रश्न- हरियाणा प्रदेश में कितने भाग पर वन हैं?
उत्तर- 3.85 प्रतिशत।
प्रश्न- भारत में पेड़ लगाने की दर क्या है?
उत्तर- 48 वर्ग किलोमीटर वार्षिक।
प्रश्न- 1970 से 2002 के बीच पृथ्वी पर से कितने जंगल नष्ट हो गये?
उत्तर- डब्ल्यूडब्ल्यूएफकी रिपोर्ट के अनुसार 1970 से 2002 के बीच पृथ्वी पर से 12 फीसदी जंगल कम हो गये।
प्रश्न- भारत में वर्ष 2001 से 2003 तक कितने सघन जंगल कम हुए?
उत्तर- पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की वन स्थिति रिपोर्ट 2003 के अनुसार वर्ष 2001 में सघन जंगल 416.809 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले थे जो 2003 में 390.564 वर्ग किमीतक सीमित हो गये। रिपोर्ट के अनुसार औघोगिकरण से जंगलों का विनाश हुआ।
प्रश्न- भारत में वर्तमान में कितने क्षेत्र पर वन मौजूद हैं?
उत्तर- 19 जुलाई 2005 को जारी भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट ट्टवन स्थिति 2003’ के अनुसार देश में 678.333 वर्ग कि0मीवनावरण उपस्थिति है जो कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 20.64 प्रतिशत है।

पर्यावरण और स्वास्थ्य

प्रश्न- एल्यूमिनियम के बर्तनों का मानव स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर- एल्यूमिनियम मानव स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है। अमेरिका के नेशनल कैमिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट में हुये शोध के अनुसार एल्यूमिनियम पेट के लिए हानिकारक है। जब पकते भोजन में नमक डाला जाता है तो एल्यूमिनियम हाइड्रोक्लोराइड का निर्माण तथा एल्यूमिनियम के सल्फेट के साथ क्षारीय सल्फेट मिलकर फिटकरी का निर्माण कर देते हैं जिससे पेट का अल्सर, पक्षाघात आदि रोग व शरीर में फास्फेट की कमी हो सकती है। इसलिए एल्यूमिनियम के बर्तनों का यथासंभव प्रयोग नहीं करना चाहिए। यदि करना भी पड़े तो नमक या सोडा बिल्कुल न डालें।
प्रश्न- क्या चांदी के वर्क शाकाहारी व्यक्ति के खाने योग्य होते हैं?
उत्तर- नहीं। चांदी के वर्क बनाने के लिए बैल की आंतों का प्रयोग किया जाता है। बैल के आंतों को काटकर उनकी तहों के बीच में चांदी के टुकड़े रख दिये जाते हैं और हथौड़े मारे जाते है जिससे चांदी फैलकर वर्क बन जाती है। बैल की आंत मजबूत होने के कारण हथौड़े से भी टूटती नहीं। मगर वर्कों पर आंतों का कुछ अंश अवश्य लग जाता है। इसलिए ये शाकाहारी व्यक्ति के खाने योग्य नहीं है।
प्रश्न- बढ़ते प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर कितना गहरा प्रभाव पड़ रहा है?
उत्तर- बढ़ते प्रदूषण के परिणामस्वरूप आज देश का हर 100वां व्यक्ति कैंसर से पीड़ित है।
प्रश्न- क्या आईसक्रीम व आईसकैंडी स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त है?
उत्तर- नहीं। आईसक्रीम व आईसकैंडी स्वास्थ्य के लिए घातक होती हैं। क्योंकि इन्हें दूध से बनाने की बजाय आमतौर पर व्हाईट पोस्टर कलर, मैदा व अरारूट से तैयार किया जाता है। पोस्टर कलर स्वास्थ्य के लिए घातक होते हैं। इनमें मीठे के रूप में चीनी की बजाय सैक्रीन व मीठे सोडे का प्रयोग किया जाता है जो की घातक है। इतना ही नहीं इनमें रंग भी खाने वाले न डालकर होली खेलने व कपड़े रंगने वाले प्रयोग किये जाते हैं। परिणामस्वरूप हैजा, डायरिया जैसे रोग हो सकते हैं।
प्रश्न- ऑक्सिटोसीन क्या काम आता है?
उत्तर- ऑक्सिटोसीन एक दवा होती है जो प्रसव के दौरान महिला को टीके के रूप में दी जाती है ताकि महिला को अधिक कष्ट न हो।
प्रश्न- ऑक्सिटोसीन का कैसे दुरूपयोग हो रहा है?
उत्तर- कुछ लालची लोगों द्वारा पशुओं का बूंद—बूंद दूध निचोड़ने के लिए इस टीके का प्रयोग किया जाने लगा है जो घातक है। इसका प्रयोग आजकल सब्जियों को जल्दी बड़ा करने के लिए भी किया जाता है।
प्रश्न- दूध निकालने के लिए ऑक्सिटोसीन का प्रयोग करने के दुष्परिणाम बताएं।
उत्तर- इसके प्रयोग से दुधारू पशु के स्वास्थ्य पर तो कुप्रभाव पड़ता ही है साथ में दूध पीने वाले को उल्टियां, नपुंसकता, महिलाओं में स्तन कैंसर तथा गर्भपात हो सकता है।
प्रश्न- सिंथेटिक दूध व घी बनाने के लिए किन पदार्थों का उपयोग होता है?
उत्तर- यूरिया, महुवे का तेल, काला तेल, तेज़ाब, फार्मलडीहाइड रसायन, सुरजमुखी का तेल तथा एसोटिक एसिड आदि प्रयोग किये जाते हैं। ये दूध व घी अत्यन्त घातक होते हैं और इनके लगातार उपयोग से अनेक बीमारियां हो सकती हैं।
प्रश्न- फ्लोरोसिस किस बीमारी का नाम है?
उत्तर- दाँतों व हड्डियों की बीमारी का।
प्रश्न- भारत में कितने लोग फ्लोरोसिस से ग्रस्त हैं?

उत्तर- 62 करोड़ लोग दूषित जल के कारण फ्लोरोसिस के शिकार हैं। 

पर्यावरण और सौन्दर्य प्रसाधन

प्रश्न- सौन्दर्य प्रसाधन पर्यावरण को कैसे प्रदूषित करते हैं?
उत्तर- सौन्दर्य प्रसाधनों के निर्माण के दौरान CFC (क्लोरो—फ्लोरो कार्बन) गैसें निकलती हैं जो कि ओजोन परत के क्षय के लिए उत्तरदायी हैं।
प्रश्न- क्या लिपस्टिक शाकाहारी महिलाओं के उपयोग के लायक है?
उत्तर- नहीं। लिपिस्टिक में जानवरों का खून होता है, इसलिए शाकाहारी लोगों के उपयोग योग्य नहीं है।
प्रश्न- सैंट बनाने के लिए किस जानवर का उत्पीड़न किया जाता है?
उत्तर- बिज्जू का।
प्रश्न- प्रयोग के दौरान शैम्पू किस जानवर की आँखें छीन रहा है?
उत्तर- खरगोश की।
प्रश्न- क्या फेस क्रीम से चेहरे की सुन्दरता बढ़ती है?
उत्तर - नहीं। फेस क्रीम में रसायन होते हैं जिनसे चेहरे की प्राकृतिक सुन्दरता भी नष्ट हो जाती है।
प्रश्न- सूटकेस व पर्स आदि बनाने के लिए किस जानवर का कत्ल किया जाता है?
उत्तर- कछुओं का।
प्रश्न- बालों, चर्बी व मांस के लिए किस जानवर को जिन्दा जलाया जाता है?
उत्तर- सुअर को।
प्रश्न- रेशम की एक साड़ी बनाने के लिए कितने कीड़ों को उबलते पानी में डालना पड़ता है?
उत्तर- लगभग पांच हजार रेशम के कीड़ों को।
प्रश्न- हाथी दांत सौन्दर्य—प्रसाधन तैयार करने के लिए किस जानवर को मारा जाता है?
उत्तर- हाथी को।
प्रश्न- ऑफ्टर शेव लोशन की परीक्षा किस प्राणी पर की जाती है?
उत्तर- ऑफ्टर शेव लोशन के परीक्षण के लिए गिनीपिगों की चमड़ी उधेड़ी जाती है।
प्रश्न- कस्तूरी के लिए किस जानवर को मारा जाता है?
उत्तर- कस्तूरी मृग को।
प्रश्न- नहाने के साबुन में पशुजनित कौन—सा पदार्थ मिलाया जाता है?
उत्तर- नहाने के साबुन में 65 से 85 प्रतिशत तक जानवरों की चर्बी मिलाई जाती है जिसे पशुवसा कहते हैं।
प्रश्न- क्रीम (फेस क्रीम, कोल्ड क्रीम आदि) में चिकनाई पैदा करने के लिए कौन—सा पदार्थ मिलाया जाता है?
उत्तर- जानवरों की चर्बी।
प्रश्न- नेल पालिश में कौन—कौन से घातक रसायनों का प्रयोग होता है?
उत्तर- नेल पालिश में एसीटोन, स्प्रिट, आइसो—प्रोपाइल, अल्कोहल, टोल्यूएशन, टाइटेनियम ऑक्साइड, नाइट्री—सेल्यूलोज, जिलेटिन, टारेन, फिनायल आदि रसायन प्रयुक्त होते हैं।
प्रश्न- नेल पालिश के प्रयोग से कौन—कौन से रोग होने का खतरा रहता है?
उत्तर- नेल पालिश में प्रयुक्त रसायनों से दाद, खुजली आदि चर्म रोग, सिरदर्द, सांस सम्बंधी बीमारियां, फेफड़ों की जलन व नाखूनों की बदरंगता के अलावा कैंसर होने का खतरा रहता है।

पर्यावरण के लिए चुनौती बनता पॉलीथीन

पर्यावरण के लिए खतरा पोलीथिन 

आधुनिकता की अंधी दौड़ में आज आदमी थैला लेकर बाज़ार से सामान लाना अपनी प्रतिष्ठा के विरूद्ध समझने लगा है। परिणामस्वरूप पॉलीथीन के थैले-थैलियों का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। हर वस्तु की पैकिंग अब पॉलीथीन में होने लगी है और यह अब जीवन का अनिवार्य अंग बन चुका है। किंतु पॉलीथीन का प्रयोग हमारे पर्यावरण के लिए अति घातक सिद्ध हो रहा है। इसकी उपयोगिता के कारण इसके दुष्परिणामों को भी नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।
पॉलीथीन बैग से निर्माण से इसके नष्ट होने तक का सफर पर्यावरण को किसी न किसी रूप में प्रदूषित करता है। इनको बनाते समय प्लास्टिक जलने से बदबू उठती है जिससे वायु प्रदूषण फैलता है। जब इसका प्रयोग करने के बाद फेंक दिया जाता है तब भी ये प्रदूषण का मुख्य कारण बनते हैं। कूड़े के ढेर में फेंके गए पॉलीथीन हवा से उडक़र नालियों तक पहुँच जाते हैं और उन्हें अवरूद्ध कर देते हैं। जिससे गंदा पानी सडक़ों पर बहने लगता है और पर्यावरण को प्रदूषित करता है। इसी प्रकार जब पॉलीथीन सीवरेज में चले जाते हैं तो शहर भर की सिवरेज व्यवस्था को में रुकावट पैदा कर देते हैं। नालियों और सिवरेज में सर्वाधिक रुकावट पॉलीथीन से ही होती है। 
सडक़ों और गलियों में उड़ते और नालियों में बहते पॉलीथीन जल स्त्रोतों तक पहुँच कर जल प्रदूषण का कारण भी बन रहे हैं। नदी, नालों, जोहड़ों और तालाबों में अकसर पॉलीथीन बैग तैरते देखे जा सकते हैं। 
विशेषज्ञों का मत है कि पॉलीथीन में खाद्य सामग्री डाली जाए तो वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारण है और घातक बीमारियों का कारण बन सकती है। इसके दुष्प्रभावों के परिणामस्वरूप कुछ राज्य सरकारों में इसके निर्माणए उपयोग और भंडारण पर पाबंदी लगाई हुई है। मगर जनसहयोग के अभाव में यह केवल कागजों तक ही सीमित होकर रह गई है। 
महानगरों और शहरों में ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी पॉलीथीन का प्रयोग बड़े पैमाने पर होने लगा है। गाँवों में किसान अपने घर का कूड़ा करकट खाद के रूप में खेतों में डालते हैं और अब पॉलीथीन भी खाद के साथ खेतों में पहुँच रहे हैं जो किसानों के लिए अभिशाप साबित हो रहे हैं। पॉलीथीन को गलकर नष्ट होने में वर्षों लगते हैं। जिससे इनकी संख्या खेतों में लगातार बढ़ रही है। बिजाई करते समय इनके नीचे जो बीज चले जाते हैं वे या तो उगते ही नहीं है और अगर उग भी जाएँ तो पॉलीथीन से बाहर नहीं आ पाते। इसी प्रकार यदि कोई बीज इनके ऊपर गिर जाता है तो वह भी नष्ट हो जाता है क्योंकि उसकी जड़े पॉलीथीन को पार करके भूमि में नहीं जा पाती। इसके कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। 
यदि हम अपनी सुविधा को पर्यावरण संरक्षण से अधिक महत्त्व देते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब चारों ओर पॉलीथीन का कचरा ही कचरा नजर आएगा। भूमि, जल और वायु सब प्रदूषित हो जाएँगे और हम स्वच्छ हवा और पानी के लिए तरस जाएँगे। इसलिए यह जरूरी है कि सरकार, समाज और व्यक्ति हर स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के प्रयास किए जाएँ। सरकार को पॉलीथीन पर पूर्ण पाबंदी लगा देनी चाहिए और उसे सख्ती से लागू करना चाहिए। समाज यह सुनिश्चित करे कि सरकार द्वारा लगाया गया प्रतिबंध प्रभावी हो। प्रत्येक नागरिक भी अपना उत्तरदायित्व समझकर स्वेच्छा से पॉलीथीन का प्रयोग न करने का संकल्प ले ताकि हमारा पर्यावरण स्वच्छ रहे।

प्रकृति की रोचक जानकारी

प्रकृति के रोचक किस्से 

1. जलमोर यानी जकाना लिली ट्राटर एक ऐसा पक्षी है जो पानी पर चल सकता है| इसके पंजे खूब लम्बे होते हैं जिनके कारण यह पानी में तैरती पत्तियों पर आसानी से चल लेता है| इसी खूबी के कारण इसको जलमोर कहा जाता है| भारत में भी इसकी दो प्रजातियाँ पाई जाती हैं|

2. सी-स्क्वर्ट एक ऐसा जीव है जिसका आकार बोतल जैसा होता है| इसी कारण इसे समुद्री पिचकारी के नाम से भी जाना जाता है| इसके शरीर में दो छेद होते हैं| एक से वह पानी अन्दर लेता है और दूसरे से शरीर का बेकार जल बाहर निकालता है, जिसे वह पिचकारी की तरह भी छोड़ता है| खतरा होने पर दोनों छेदों से पानी की पिचकारी छोड़ता है|

3. ग्रीव एक ऐसा जल पक्षी है जो अपने ही कुछ पर खा जाता है| वह अपने बच्चों को भी अण्डों में निकलने पर अपने पर ही खिलाता है|

4. अभी तक आपने सुना होगा की वृक्ष केवल देते हैं, कुछ लेते नहीं| मगर एक ऐसा वृक्ष भी है जो दूसरों की मेहनत को लूट लेता है| इस पेड़ का नाम है क्रिस्मस ट्री जो आस्ट्रेलिया में पाया जाता है| यह पेड़ तब फूल देता है जब बाकि पेड़ पतझड़ झेल रहे होते हैं|

यह वृक्ष दूसरे पेड़ों की लम्बी जड़ों द्वारा खींचे गए पानी पर डाका डालता है| इसके लिए यह अपनी जड़ों को दूसरे पेड़ों की उन जड़ों से जोड़ लेता है जो जल खिंच कर लाती हैं और उनसे पानी चूसता रहता है और गर्मी में भी हराभरा रहता है|