7 Jan 2021

अलंकार अभ्यास

अलंकार अभ्यास

दिये गये पद्यांशोंं में प्रयोग हुये अलंकार चुनें 
1. कुन्द इन्दु सम देह, उमा रमन करुण अयन।
(क) उपमा (ख) श्लेष
(ग) प्रतीप ( घ) दृष्टांत

2, चरन धरत चिन्ता करत, भावत नींद न शोर।
सुबरन को खोजत फिरत, कवि व्यभिचारी चोर)
(क) यमक (ख) दृष्टान्त
(ग) श्लेष (घ) उत्प्रेक्षा

3. अजौ तर्यौना ही रह्यों, श्रुति सेवत इक अंग। 
नाक बास बेसिर लह्‍यौं, बसि मुक्तन के संग।। 
(क) रूपक (ख) यमक
(ग) उत्प्रेक्षा (घ) श्लेष

4. को तुम हैं घनश्याम हम, तो बरसो कित जाए।
(क) उपमा (ख) अनुप्रास 
(ग) वक्रोक्ति (घ) भ्रांतिमान

5. ऊधौ, मेरा हृदय तल था एक उद्यान न्यारा। 
शोभा देतीं अमित उसमें कल्पना-क्यारियाँ थीं। 
(क) उत्प्रेक्षा (ख) यमक
(ग) रूपक (घ) उपमा

6. भूरि-भूरि भेदभाव भूमि से भगा दिया।
(क) उत्प्रेक्षा (ख) यमक
(ग) रूपक (घ) अनुप्रास

7. हृदय घाव मेरे पीर रघुवीरै।
(क) प्रतीप (ख) व्यतिरेक
(ग) असंगति (घ) उल्लेख

8. मुन्ना तब मम्मी के सर पर देख-देख दो चोटी। 
भाग उठा भय मानकर सर पर साँपिन लोटी ।।
(क) संदेह (ख) यमक
(ग) भ्रांतिमान (घ) उपमा

9. तू रूप है, किरण में, सौन्दर्य है सुमन में। 
तु प्राण है पवन में, विस्तार है गगन में। 
(क) रूपक (ख) यमक
(ग) उल्लेख (घ) अतिशयोक्ति

10. ध्वनि-मयी करके गिरि-कंदरा। 
कलित-कानन केलि-निकुंज को।। 
(क) अतिशयोक्ति (ख) छेकानुप्रास
(ग) लाटानुप्रास (घ) वृत्यानुप्रास

11. भर लाऊँ सीपी में सागर। 
प्रिय! मेरी अब हार विजय क्या?
(क) रूपक (ख) विभावना
(ग) उल्लेख (घ) विरोधाभास

12. बसै बुराई जासु तन, ताही को सन्मान। 
भलो-भलो कहि छोड़िए, खोटे ग्रह जप दान।।
(क) अनुप्रास (ख) दृष्टान्त
(ग) उपमा (घ) भ्रान्तिमान

13. बहुरि विचार कीन्ह मन माहीं। 
सीय वचन सम हितकर नाहीं।।
(क) सन्देह (ख) रूपक
(ग) यमक (घ) प्रतीप

14. हैं गरजते घन नहीं बजते नगाड़े।
विद्युल्लता चमकी न कृपाण जाल से।।
(क) यमक  (ख) उत्प्रेक्षा 
(ग) अपह्नुति (घ) रूपक

15. जुग उरोज तेरे अली। नित-नित अधिक बढ़ायंं। 
अब इन भुज लतिकान में, एरी ये न समायंं। 
(क) रूपक (ख) अतिशयोक्ति
(ग) यमक (घ) दृष्टान्त

16. अधरों पर अलि मँडराते, केशों पर मुग्ध पपीहा। 
(क) सन्देह (ख) रूपक
(ग) उपमा (घ) भ्रान्तिमान

17. गर्व करउ रघुनन्दन जिन मन माँह। 
देखउ आपन मूरति सिय के छाँह।। 
(क) प्रतीप (ख) रूपक 
(ग) उल्लेख (ग) व्यतिरेक

18. मुख बाल-रवि-सम लाल होकर ज्वाल-सा बोधित हुआ।
(क) अनुप्रास (ख) उत्प्रेक्षा
(ग) उपमा (घ) पुनरुक्त

19. तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।
(क) यमक (ख) रूपक
(ग) अनुप्रास (घ) उत्प्रेक्षा

20. माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर।।
(क) रूपक (ख) यमक
(ग) अनुप्रास (घ) उल्लेख

21. लेवत मुख में घास मृग मोर तजत नृत जात।
आँसू गिरियत जर लता, पीरे-पीरे पात।
(क) रूपक (ख) अतिशयोक्ति
(ग) उल्लेख (घ) विरोधाभास

22. यह मुख है नीले अम्बर में या यह चन्द्र विमल है। 
अँधेरे में दीप जला, या सर में खिला कमल है।।
(क) उपमा (ख) उल्लेख
(ग) रूपक (घ) सन्देह

23 अति मलीन, वृषभानु कुमारी। 
अघमुख रहित, उरच नहीं चितवत्, 
ज्यों गथ हारे पकित जुआरी। 
छूटे चिकुर बदन कुम्हिलानो, 
ज्यों नलिनी हिसकर की मारी।। 
(क) रूपक  (ख) उत्प्रेक्षा
(ग) उपमा (घ) प्रतीप

24: कमल नैन को छाँडि महातम, और देव को ध्यावै।
(क) अनुप्रास (ख) यमक
(ग) श्लेष (घ) रूपक

25. पट-पीत मानहुँ तड़ित रुचि, सुचि नौमि जनक सुतावरं ।
(क) अतिशयोक्ति (ख) यमक
(ग) उपमा (घ) रूपक

26, तीन बेर खाती थीं, वे तीन बेर खाती हैं। 
(क) यमक (ख) श्लेष
(ग) उत्प्रेक्षा (घ) रूपक

27. जग प्रकाश तब जस करे, वृथा भानु यह देख।
(क) यमक (ख) प्रतीप
(ग) उपमा (घ) उत्प्रेक्षा

28. मंगन को देख पट देत बार-बार है।
दाता अस सूम दोनों किए इक सार है।।
(क) विरोधाभास (ख) श्लेष
(ग) उपमा (घ) पुनरुक्ति

29 बढ़त-बढ़त सम्पति सलिल मन-सरोज बढ़ जाए। 
घटत घटत फिर न घटै करू समूल कुम्हिलाया।
(क) रूपक (ख) यमक
(ग) उल्लेख (घ) विभावना

उत्तर- 1. उपमा 2. श्लेष  3.श्लेष 4. वक्रोक्ति 5. रूपक 6. अनुप्रास 7. असंगति 8. भ्रांतिमान 9. उल्लेख 10. वृत्यानुप्रास 11. विरोधाभास 12. दृष्टान्त 13. प्रतीप 14. अपह्नुति 15. अतिशयोक्ति 16. भ्रान्तिमान 17. प्रतीप 18. उपमा 19. अनुप्रास 20. अनुप्रास 21. अतिशयोक्ति 22. सन्देह 23. उपमा 25. उपमा 26. श्लेष 27. प्रतीप 28. श्लेष 29. रूपक

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